Odd-Even Formula – कुर्सी का खेल या सच में बढ़ते प्रदुषण की है चिंता

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Odd-Even

Odd-Even Formula – देश की राजधानी को साफ़ और स्वच्छ बनाने के लिए दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल कोई भी कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसके लिए वह नए नए प्लान या आइडिया लाते रहते हैं। एक उदाहरण के हिसाब से आप Odd-Even Formula। साल 2016 की शुरुआत में दिल्ली मुख्यमंत्री ने इसकी शुरुआत की थी। इसको शुरू करने का मोतिव यही था कि राजधानी में प्रदुषण के बढ़ते स्तर को कम किया जाए। पहले तो लोगों को इसके लिए मंजूरी देना मुश्किल था लेकिन जब लोगों ने इसे जाना तो समझा की यह जरुरी कदम है। यह फॉर्मूले के अनुसार odd तारीख वाले दिन odd नंबर की गाड़ियां चलेंगी और even तारीख वाले दिन even नंबर की। ऐसे में लोगों को कारपूलिंग करनी होगी या फिर प्राइवेट वाहनों का इस्तेमाल कर अपने ऑफिस पहुंचना होगा। यह तो कहा जा सकता है

बीबीसी हिंदी ने पिछले दिनों एक खबर छापी थी। जिसमें दिया गया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री इस बात का दावा करते हैं कि राजधानी में 25 प्रतिशत प्रदुषण कम हुआ है। लेकिन मुख्यमंत्री ने यह नहीं बताया था कि किस तरह का प्रदुषण। इस खबर के अनुसार, दिल्ली में आधारित एक शोध समूह सेंटर साइंस एन्ड एनवायरनमेंट ने सरकार द्वारा दिए गए सभी आंकड़ों का अध्ययन किया। और इस अध्ययन में यह पाया गया कि सबसे खराब प्रदूषकों में से एक छोटे PM2.5 कणों का औसत स्तर 2012-14 के समय के मुकाबले 2016-18 से तीन वर्षों के दौरान पच्चीस प्रतिशत कम था। यानी इस रिपोर्ट में यह पाया गया, PM2.5 का रोज़ाना स्तर में कमी आयी है। जिसके कारन सबसे ज़्यादा प्रदूषित दिनों में कमी पायी गई। राजधानी में प्रदुषण से निपटने के लिए दिल्ली नगर निगम ने भी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रशासन ने इस बात का खास ध्यान रखा कि वाहनों में साफ़ ईंधन हो।ओड एवं जैसी स्कीमों को काम में लिया गया। जिसके असर में यह पाया गया कि हाँ, दिल्ली में प्रदुषण पर थोड़ी लगाम लगाई गयी है।

पराली भी है प्रदुषण का दूसरा कारण

इस समय, दिल्ली से सटे दो अन्य राज्य – पंजाब और हरियाणा, में पराली जलाई जा रही है। कहा जा रहा है कि एक बार फिर दिल्ली की हवा ख़राब होने वाली है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एन्ड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार, दिल्ली की हवा की गुणवत्ता शुक्रवार (12 अक्टूबर) को ख़राब रहेगी। और रविवार को यह गुणवत्ता और नीचे जा सकती है। अब यह तो चिंता का विषय है ही। इसके साथ दिवाली भी आने वाली है। भले ही, दिल्ली सरकार ने ग्रीन क्रैकर्स का विकल्प सभी लोगों के सामने रखा हो। लेकिन कहीं न कहीं स्थिति फिर से डगमगाने वाली है। इस पराली वाली समस्या से दिल्ली मुख्यमंत्री भी परेशान से नज़र आए। इस परेशानी से निपटने के लिए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के साथ सभी एजेंसियों और संस्थाओं को इसके लिए कोई बड़ा कदम उठाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी में बाकी दिन प्रदुषण स्तर में कमी देखी तो जाती है लेकिन अक्टूबर-नवंबर के महीने में सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। और अब फिर से पराली के कारण दिल्ली में धुंआ आना शुरू हो गया है। इन सबके बावजूद दिल्ली वासी प्रदुषण कम करने में लगे हुए हैं।

इस साल शुरू किए जा रहे ओड इवन फॉर्मूले में दिल्ली सरकार महिलाओं के लिए छूट करेगी। बशर्ते, जिस गाड़ी को अकेली महिला चला रही होगी या गाडी में सभी सवारी महिलाएं होंगी तो उन गाड़ियों पर छूट रहेगी। इसके साथ जो महिला के साथ 12 साल तक का एक बच्चा होगा उसे भी छूट दी जायेगी।कहा जा रहा है कि इस बार प्राइवेट वाहनों पर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं है। सवारी वाले वाहन जैसे टैक्सी, बस या ऑटो पर यह लागू नहीं होगा। इस बार भी यह फॉर्मूले 4 नवंबर से 15 नवंबर तक चालू रहेगा।

2016 में शुरू किया गया था Odd-Even Formulae

देश की राजधानी दिल्ली में पहली बार Odd-Even Formula साल 2016 की एक जनवरी को शुरू किया गया था। पंद्रह दिन तक चले इस फॉर्मूले ने सभी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया था। क्योंकि शायद ऐसा पहली बार देश में होने वाला था। दिल्ली सरकार ने पहली बार इस फॉर्मूले के लिए कई प्राइवेट बसें भी चलाईं थी। करीब 3 हज़ार बसें सड़कों पर घूम रही थीं। किसी भी व्यक्ति को आवाजाही में कोई परेशानी न हो, इसका ध्यान दिल्ली सरकार ने पूरी तरह से रखा। उस समय ट्विटर पर भी #pollutionfreedelhi भी ट्रेंड कर रहा था। और लोग प्राइवेट बसों को ढूंढने के लिए इसका ही सहारा ले रहे थे। यहाँ तक की ओला ने भी कारपूल का ऑप्शन रखा था। उस साल अप्रैल में भी इस फॉर्मूले को शुरू किया गया। साल 2017 में जब दिल्ली सरकार ने इसके लिए दुबारा बात की तो एनजीटी ने उनसे कुछ सवाल कर दिए। एनजीटी के सवालों का जवाब दिल्ली मुख्यमंत्री नहीं दे पाए थे।

इसका रिजल्ट यह निकल कर आया कि…

इसका रिजल्ट यह निकल कर आया कि सड़कों पर गाड़ियों का भारी हुज़ूम देखने को बिलकुल नहीं मिला। सड़कों पर गाड़ी की गिणतियों में कमी को लेकर प्रदुषण फैलाने वाले कण कम देखने को मिले। लेकिन इस दौरान ऑटो और टैक्सी चलाने वालों ने सवारियों से काफी ज़्यादा पैसे लूटने शुरू कर दिए थे। जिसके कारण लोगों को यह परेशानी उठानी पड़ी। कई लोगों ने अपने आस-पड़ोस के लोगों के साथ और ऑफिस वालों के साथ कारपूल किया।

कई लोग इस फार्मूला को टैक्सी और ऑटो वालों के लिए बम्पर धमाके से कम नहीं मानते।सुनने में यह भी आ रहा है कि वोट बैंक को भरने के लिए दिल्ली मुख्यमंत्री ने यह फार्मूला लागू किया है। अब इसे आप पॉलिटिक्स का मुद्दा बना लें या फिर देश में बढ़ रहे प्रदुषण के खतरे को यह अब आपके ऊपर है। अभी कुछ दिनों में दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं। और यह चुनाव दिल्ली के नए मुख्यमंत्री को उसकी सत्ता दिलाएंगे।

इसके साथ दिल्ली मुख्यमंत्री ने कई ऐलान किये थे, जैसे, बिजली और पानी के बिल में कटौती। जिसके बाद दिल्ली वासियों के चेहरे खिल उठे थे। अब जब उन्होंने इस Odd-Even Formula को लाने की बात की तो कई विपक्षी दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस पर कहा कि इस फॉर्मूले की कोई जरुरत नहीं है, सड़क मंत्रालय दिल्ली में प्रदुषण काम करने का काम कर रहा है। दिल्ली के बीजेपी अध्यक्ष भी कहाँ चुप रहने वालों में से थे। उन्होंने भी इस मुद्दे पर कहा कि केजरीवाल सरकार की यह स्कीम सिर्फ और सिर्फ लोगों को परेशान करने में लगी है।

अब देखना यह होगा कि क्या यह स्कीम लोगों के हित के लिए बनाई गयी है या फिर यह भी पॉलिटिक्स का कोई खेल है।