व‍िवाद‍ित बयानों के सरताज व दल‍ित नेता रामदास अठावले के बारे में ये खास बात नहीं जानते होंगे आप !

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रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के राष्ट्रीय अध्यक्ष, रामदास अठावले  वर्तमान में मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं. अपनी विवादित बयान की वजह से ये अक्सर सुर्खियो में बने रहते है. इतना ही नही ये संसद भवन में भी काफी प्रसिद्ध है. हालांकि दलित नेता के रूप में देश भर में इनका सम्मान होता है. बता दे अठावले 1999 से 2009 तक दो बार पंढरपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे. साथ ही महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी रह चुके है.

कौन है रामदास आठवले ?

रामदास बंडु आठवले एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री है. इनका जन्म 25 दिसम्बर 1959 को महाराष्ट्र के आंगलगांव में हुआ. शुरू से ही इनको राजनीतक में ज्यादा दिलचस्पी रही है. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1990 से 1996 के बीच अठावले महाराष्ट्र व‍िधान पर‍िषद में सदस्य रहे. हालांकि इनकी छवी शुरू से ही दल‍ितों के पैरोकार के रूप में बना हुआ था. वो अक्सर आपने मजाक‍िया स्वभाव के ल‍िए भी जाने जाते हैं.

विवादों से है पूरा नाता

जैसा की हम सब जानते है अठावले अक्सर अपने विवादित बयानों की वजह से एक अलग पहचान बना चुके है. जिसको लेकर कई बार देशभर में जमकर हंगामा मच गया था. हाल ही के दिनों में उन्होंने पीएम मोदी के तारीफ में एक कविता सुनाया था, जिसको लेकर देशभर में इसकी चर्चाए होने लगी थी. हालांकि बीते लोकसभा चुनाव में वो मुंबई नॉर्थ सेंट्रल की सीट से लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकेट न मिलने की वजह से ऐसा न हुआ. काहा ये भी जाता है कि वे दल‍ित वोट को अपने फेवर में कराने में महारथ हासिल किए है.

अठावले का राजनीत‍िक सफ

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि साल 1947 में उन्होंने अरुण कांबले और गंगाधर गाडे के साथ म‍िलकर दल‍ित राजनीत‍ि का महाराष्ट्र में नेतृत्व क‍िया. अठावले का ये कदम RPI में मतभेद लाने का काम किया. जिसके बाद उनकी पार्टी बिखर गई. उसके बाद अठावले ने अपनी पार्टी रिपब्लक‍िन पार्टी ऑफ इंड‍िया (अठावले) बनाई. साल 190-1996 तक उन्होंने महाराष्ट्र व‍िधान पर‍िषद में सदस्य रहते हुए सोशल वेलफेयर एंड ट्रांसपोर्ट व‍िभाग में कैब‍िनेट मंत्री का दाय‍ित्व न‍िभाया था. इसके बाद वो साल 2004 के लोकसभा चुनाव में अपनी जीत पक्की की और संसद पहुच गए.

अठावले के कुछ व‍िवाद‍ित बयान

  • साल 2015 में हरियाणा में दलितों पर हुए हमलों के बाद अठावले ने अपने बयां में कहा था कि अगर पुल‍िस को दल‍ितों की दुर्दशा पर लगातार नजर रखनी है तो दल‍ित समुदाय के सदस्यों को पुलिस की कमान शौप देनी चाहिए. इसके साथ ही दल‍ितों को बंदूक का लाइसेंस दिया जाए ताकि वे अपनी रक्षा कर सकें.
  • साल 2016 में उन्होंने अपने एक बयां में कहा था कि हम कोशिश कर रहे हैं कि सभी राज्य सरकारों को अंतर जातीय विवाहों को बढ़ावा देना चाहिए. मैं लव जिहाद को कोई मुद्दा नहीं मानता हूं. हर किसी को आजादी होनी चाहिए अपनी मर्जी से विवाह करने की. इनका यह बयान इन्ही को काफी भारी पड़ गया था. हालांकि बात को बढ़ता देख इन्होने इस बयां के लिए माफ़ी भी मांगी थी.
  • अठावले ने मायावती पर भी तीखा प्रहार किया था.  उन्अहोंने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि दलित वोटों पर सबसे बड़ा अधिकार रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का है, मायावती का नहीं. जिस चुनाव चिह्न हाथी से बसपा सुप्रीमो की पहचान है, वह आरपीआई का था. मायावती ने उसे छीन लिया.