Analysis of Maharashtra Government 2019- महाराष्ट्र में शनिवार सुबह जो हुआ,वह सब जानते हैं। भाजपा और शिवसेना के बीच जो मनमुटाव चल रहे थे, उसका अंत कुछ इस तरह से हुआ कि दिन निकलते ही देवेंद्र फडणवीस को महारष्ट्र का मुख्यमंत्री बना दिया गया।शनिवार तड़के, करीब 5:47 बजे, राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया गया और प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री का पद अजित पवार को दिया गया। जो भी कुछ हुआ, किसी को भी इसका अंदाजा नहीं था।
यह सब होने के बाद कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना ने राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ जाकर देश के उच्च न्यायालय का दरवाज़ा जोर से खटका दिया है। यह मामला अब कोर्ट की नज़र में आ चूका है। रविवार को हुई सुनवाई में सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता से प्रदेश में लगे हुए प्रेजिडेंट रूल को हटाने और भाजपा के प्रार्थी देवेंद्र फड़वनीस को सरकार बनाने के लिए इन्विटेशन लैटर, सोमवार सुबह कोर्ट में पेश करने का आर्डर दिया था।
Analysis of Maharashtra Government 2019- शनिवार को हुए इस घटनाक्रम से एक दिन पहले, एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना ने यह ऐलान किया कि वह एक साथ मिलकर सरकार बनाएगी। लेकिन, यह सब सब कुछ रात ढलते ही हो गया।
इसी साल, 21 अक्टूबर में 288 सीटों से प्रदेश में चुनाव हुए थे। 24 अक्टूबर को इस चुनावों का रिजल्ट आया। रिजल्ट कुछ इस तरह से था – भाजपा – 105, शिवसेना – 56, राकांपा – 54 और कांग्रेस – 44. इसके बाद से, भाजपा और शिवसेना के बीच में जंग छिड़ गई। जंग का मुद्दा था, किस पार्टी के सदस्य को मुख्यमंत्री का पद सौंपा जाए? जंग ऐसी छिड़ी की ख़बरों में रोज़ छाई रही।
ऐसे प्रश्न यह उठता है, कि एकदम से किसी को मुख्यमंत्री कैसे बनाया गया? शपथ समारोह करने से पहले एक सुचना जारी की जाती है, जो कि नहीं की गयी।
GENERAL ELECTIONS 2019 – महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार का लग रहा है पलड़ा भारी
Analysis of Maharashtra Government 2019- 9 नवंबर को राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने और बहुमत साबित करने की बात की थी। लेकिन, 10 नवंबर को भाजपा ने कहा की वह सरकार बनाने में असमर्थ है। जिसके चलते राज्यपाल ने शिवसेना पार्टी को अपनी सरकार बनाने का इशारा दे दिया था, जिसके लिए उन्हें अपनी बहुमत साबित करनी थी। शिवसेना ने भी जोर लगाते हुए यह कह दिया वह बहुमत साबित कर देगी। इसके लिए पार्टी ने जब तीन दिन का समय माँगा तो राज्यपाल ने साफ़ इंकार कर दिया और शिवसेना के सरकार बनाने के दावे को खारिज कर दिया।
यह सब कुछ बड़ा ही कन्फ्यूजिंग था। प्रदेश में क्या चल रहा है किसी को नहीं मालुम था। इसके बाद बारी आई राकांपा की। राज्यपाल ने राकांपा को मौका दिया सरकार बनाने और बहुमत दिखाने का।
Analysis of Maharashtra Government 2019- 12 नवंबर को खबर आयी कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग चूका है। यह सब हुआ, राज्यपाल द्वारा शिवसेना पार्टी के सरकार बनाने के लिए किए गए बहुमत हासिल करने के निर्णय को खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में यह मामला ले जाने के कारण।
महाराष्ट्र में लग सकता है ‘प्रेजिडेंट रुल’, राज्यपाल ने सिफारिश पर दी मंज़ूरी
इसके बाद से, महाराष्ट्र में चल रहा सियासती खेल अभी भी कई मोड़ ला रहा है। असल में, सोमवार को कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना की तरफ से राज्यपाल को जो पत्र सौंपा गया था, उसमें यह बात लिखी ही नहीं गई थी की किसकी सरकार बनाई जायेगी?
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करता लेकिन, अब यह सुनवाई मंगलवार को की जायेगी। केंद्र सरकार ने एक याचिका दायर करते हुए भाजपा ने कहा कि पार्टी को राकांपा के 54 विधायकों का समर्थन था। इसके बाद केंद्र ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह राज्यपाल के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका पर जवाब देने के लिए दो-तीन दिन का वक़्त दिया जाए।
Analysis of Maharashtra Government 2019- इस मामले को देखने वाले हैं, तीन सदस्यों की पीठ, न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना। पीठ के समक्ष शिवसेना की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा उनके गठबंधन के लिए 154 विधायकों के हलफनामे हैं। भाजपा को 24 घंटे के अंदर बहुमत साबित करने का आदेश दिया जाना चाहिए।
रविवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना द्वारा याचिका जारी की गई थी तो, केंद्र सरकार से राज्यपाल से समर्थन वाली चिठ्ठी की मांग की गई थी। इसके बाद सॉलिसटर तुषार मेहता के सामने दोनों खत पेश किए गए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में अजित पवार के समर्थन वाला खत पेश किया गया। इसके साथ, 54 विधायकों द्वारा लिखे गए खत में यह बात सामने आई कि ‘हम महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन ज़्यादा दिनों के लिए नहीं चाहते हैं।’
Analysis of Maharashtra Government 2019- अब देखना यह है कि मंगलवार को क्या होगा? यह सब होने के बाद से लोगों के मन में सौ विचार आ रहे हैं। कोई किसी पार्टी को सही बता रहा है तो कोई किसी को। ऐसे में, सब अब कोर्ट का फैसला लेने के इंतज़ार में बैठे हैं।