जैसा की हम सब जानते है भारत में स्तन कैंसर के मामले दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे है। इसके होने के कई कारण है। आपको जानकार हैरानी होगी कि कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या में प्रति एक लाख में से 30 की औसत से बढ़त हो रही है। हाल में ही जारी एक रिपोर्ट की माने तो भारत के शहरी इलाकों में, हर 28 महिला में से एक महिला को स्तन कैंसर है। वही यह अनुपात ग्रामीण इलाको में कम है. तो चलिए इस पोस्ट में जानते है कैसे बचा जाए …
आखिर क्या है स्तन कैंसर
बोल चाल भाषा में समझे तो यह स्तन की कोशिकाओं के असाधारण रूप से बढ़ने की वजह से होता है। धीरे-धीरे यह अक्रम रूप लेने लगता है। हालांकि, स्तन में हर गांठ कैंसर नहीं होती. जबतक जांच न करवाया जाए,तब तक यह बात साफ़ नहीं हो पता है। क्योंकि ट्यूमर आगे चलकर कैंसर का रूप भी पकड़ सकता है। इसके अलावा इनके चारों ओर कुछ अन्य टिश्यू, फाइब्रस मैटेरियल, फैट, नाड़ियां, रक्त वाहिकाएं और कुछ लिंफेटिक चैनल होते हैं। यह कैंसर किसी भी उम्र में महिला के साथ-साथ पुरुष को भी हो सकता है। हालांकि यह पुरुषों में बहुत ही कम पाया जाता है।
स्तन कैंसर कई प्रकार के होते है। अगर शुरूआती स्टेज में इसका इलग करवाया जाए तो बहुत हद्द तक इसको काबू में लिया जा सकता है। इसका एक प्रकार इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा है, जो 75 फीसदी महिलाओं में पाया जाता है। यह केसर उतना खतरनाक नहीं होता है जितना खतरनाक इन्फ्लेमेटरी कार्सिनोमा नामक कैंसर होता है। इस कैंसर के होने के बाद पीड़ित के निप्पल के आसपास रक्त जमा हो जाता है। जांच के बाद ही पता लगाया जा सकता है कि स्तन कैंसर किस तरह का है तो उसके अनुरूप उसका इलाज़ कराना भी आसान हो जाता है।
कैंसर की वजह
- स्तन कैंसर होने के कई वजह हो सकते है. इनमे से सबसे कॉमन वजह है शराब, ध्रूमपान, तंबाकू का सेवन करना।
- अधिक उम्र में गर्भवती होना और बच्चों को स्तनपान ना करवाना ही स्तन कैंसर की मुख्य वजह हैं।
- महिलाएं अपने वज़न को नियंत्रित रखें।
- कम-से-कम 6 महीने तक बच्चों को स्तनपान ज़रूर कराएं।
- बदलता लाइफ़स्टाइल भी स्तन कैंसर का कारण बन सकता है।
इसके लक्षण क्या है..
- किसी स्तन में या बाहों के नीचे गांठ का होना।
- किसी स्तन के आकार, आकृति या ऊंचाई में अचानक कोई बदलाव दिखना।
- स्तन या निप्पल का लाल हो जाना।
- स्तन से खून निकलना ।
- स्तन के टिश्यू या त्वचा का ज्यादा समय तक सख्त बने रहना।
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
- जरुरत से ज्यादा वजन इसके खतरे को बढाता है ।
- व्यायाम करना चाहिए।
- ज्यादा फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- शिशु को 6 माह तक स्तनपान कराना चाहिए।
- गर्भनिरोधक गोलियों को भी कम से कम इस्तमाल करना चाहिए।